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बेली बटन संक्रमण (नाभि संक्रमण)

बेली बटन संक्रमण या नाभि संक्रमण तब होता है जब नाभि क्षेत्र में सूजन और संक्रमण हो जाता है। यह संक्रमण बैक्टीरिया, फंगस (कवक), या नाभि में गंदगी और पसीने के जमा होने के कारण हो सकता है, जिससे हानिकारक सूक्ष्मजीवों की वृद्धि होती है।

कारण

नाभि संक्रमण निम्नलिखित कारणों से हो सकता है:

  • बैक्टीरियल संक्रमण: Staphylococcus या Streptococcus बैक्टीरिया नाभि की ठीक से सफाई न होने पर संक्रमण पैदा कर सकते हैं।
  • फंगल संक्रमण: Candida नामक कवक, जो गर्म और नमी वाली जगहों में पनपता है, नाभि में यीस्ट संक्रमण का कारण बन सकता है।
  • खराब स्वच्छता: नाभि में जमा गंदगी, पसीना और तेल बैक्टीरिया या फंगस को पनपने के लिए आदर्श वातावरण प्रदान करते हैं।
  • बॉडी पियर्सिंग: नाभि में पियर्सिंग के बाद संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
  • त्वचा संबंधी समस्याएं: एक्जिमा या सोरायसिस जैसी त्वचा की समस्याओं से नाभि के आसपास संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
  • सर्जरी: पेट से संबंधित सर्जरी के बाद, नाभि के पास संक्रमण हो सकता है।

जोखिम कारक

  • व्यक्तिगत स्वच्छता की कमी
  • मोटापा, जिससे गहरी नाभि में नमी फंस जाती है
  • नाभि में पियर्सिंग
  • मधुमेह का इतिहास, क्योंकि उच्च रक्त शर्करा संक्रमण के जोखिम को बढ़ाता है
  • अत्यधिक पसीना आना, जो बैक्टीरिया और फंगस की वृद्धि को बढ़ावा देता है
  • नाभि के पास सर्जरी का इतिहास

लक्षण

  • नाभि के आसपास लाली, सूजन, या गर्माहट
  • नाभि में दर्द या संवेदनशीलता
  • नाभि से दुर्गंधयुक्त स्राव (यह साफ, पीला, या हरा हो सकता है)
  • नाभि के आसपास खुजली या जलन
  • बुखार (गंभीर मामलों में)

निदान

  • शारीरिक परीक्षण: डॉक्टर नाभि का निरीक्षण करेंगे और संक्रमण के लक्षणों जैसे लाली, स्राव, और सूजन की जांच करेंगे।
  • स्राव परीक्षण: नाभि से निकले स्राव का नमूना लेकर उसे बैक्टीरिया या फंगस के लिए जांचा जा सकता है।
  • रक्त शर्करा परीक्षण: यदि संक्रमण बार-बार होता है, तो मधुमेह की जांच के लिए रक्त शर्करा का परीक्षण किया जा सकता है।

उपचार

  1. टॉपिकल एंटीबायोटिक्स या एंटीफंगल्स: यदि संक्रमण बैक्टीरियल है, तो टॉपिकल एंटीबायोटिक क्रीम दी जाती है। फंगल संक्रमण के लिए एंटीफंगल क्रीम का उपयोग किया जाता है।
  2. मौखिक एंटीबायोटिक्स: गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण के मामलों में मौखिक एंटीबायोटिक्स की आवश्यकता हो सकती है।
  3. नाभि की सफाई: हल्के साबुन और गर्म पानी से नाभि को साफ करना आवश्यक है। कुछ मामलों में, नाभि की सफाई के लिए नमक वाले पानी का सुझाव दिया जा सकता है।
  4. एंटीसेप्टिक सॉल्यूशन: ओवर-द-काउंटर एंटीसेप्टिक सॉल्यूशन का उपयोग करके क्षेत्र को साफ और संक्रमण-मुक्त रखा जा सकता है।

जटिलताएं

  • फोड़ा (Abscess): गंभीर नाभि संक्रमण के कारण फोड़ा हो सकता है, जिसे हटाने के लिए ड्रेनेज की आवश्यकता हो सकती है।
  • संक्रमण का फैलाव: यदि संक्रमण का समय पर इलाज नहीं किया जाता, तो यह पेट के अन्य हिस्सों या शरीर में गहराई तक फैल सकता है।
  • बार-बार होने वाले संक्रमण: बार-बार होने वाले संक्रमण मधुमेह या कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली जैसी समस्याओं का संकेत हो सकते हैं।

सावधानियां

  • नाभि को अनावश्यक रूप से छूने या खरोंचने से बचें।
  • नहाने या पसीने के बाद नाभि क्षेत्र को सूखा और साफ रखें।
  • नाभि के आसपास कठोर साबुन, लोशन या अन्य रसायनों का उपयोग न करें।
  • यदि आपने नाभि में पियर्सिंग करवाई है, तो संक्रमण से बचने के लिए उचित देखभाल का पालन करें।

स्व-देखभाल

  • अच्छी स्वच्छता बनाए रखें: हल्के साबुन और पानी से नाभि को रोज़ाना साफ करें और अच्छी तरह से सुखाएं।
  • ढीले कपड़े पहनें: तंग कपड़े नाभि क्षेत्र में नमी और जलन को बढ़ा सकते हैं।
  • तेज वस्तुओं का उपयोग न करें: नाभि के अंदर सफाई के लिए नाखून या कॉटन स्वैब जैसी तेज वस्तुओं का उपयोग न करें।
  • नमी नियंत्रण: यदि आप अत्यधिक पसीना करते हैं, तो नाभि के चारों ओर टैल्कम पाउडर लगाएं ताकि नमी जमा न हो।
  • संक्रमण के संकेतों पर ध्यान दें: यदि आपको लाली, सूजन, स्राव या अन्य लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

अगर लक्षण गंभीर हो जाएं या स्व-देखभाल से ठीक न हों, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।

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